मन की भाषा खूब समझती हूँ। मैं अभिलाषा हूँ। मन की भाषा खूब समझती हूँ। मैं अभिलाषा हूँ।
पढ़ो तो कुछ ऐसा पढ़ो, जिसे पढ़कर तुम कहो वाह-वाह, लिखो तो कुछ ऐसा लिखो, जिसे पढ़कर दुनिया कहे वाह... पढ़ो तो कुछ ऐसा पढ़ो, जिसे पढ़कर तुम कहो वाह-वाह, लिखो तो कुछ ऐसा लिखो, जिसे ...
अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं। अब अपने नाम का सिक्का जमाना चाहता हूँ मैं।
उफ़ ! ये तेरे अनोखे खेल, क्या खूब खेल खेला। उफ़ ! ये तेरे अनोखे खेल, क्या खूब खेल खेला।
नींबू ख़ूब सजाऐ.. नींबू ख़ूब सजाऐ..
एक मुर्दे ने दूजे मुर्दे से पूछा एक मुर्दे ने दूजे मुर्दे से पूछा